NEW STEP BY STEP MAP FOR HANUMAN CHALISA

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[Saba=all; sukha=contentment, pleasures; Lahai=continue to be; tumhari=in your; sarana=refuge; tuma=you; rakshaka=protector; kahoo ko=why? or of whom; darana=be scared]

बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें

Strength: Hanuman is terribly sturdy, one particular able to lifting and carrying any burden for a cause. He is named Vira, Mahavira, Mahabala and also other names signifying this attribute of his. In the course of the epic war in between Rama and Ravana, Rama's brother Lakshmana is wounded. He can only be healed and his death prevented by a herb located in a certain Himalayan mountain.

O the Son of Wind, You would be the destroyer of all sorrows. You tend to be the embodiment of fortune and prosperity.

व्याख्या – सामान्यतः जब किसी से कोई कार्य सिद्ध करना हो तो उसके सुपरिचित, इष्ट अथवा पूज्य का नाम लेकर उससे मिलने पर कार्य की सिद्धि होने में देर नहीं लगती। अतः यहाँ श्री हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिये भगवान श्री राम, माता अंजनी तथा पिता पवनदेव का नाम लिया गया।

The Stoic virtue of wisdom, or sophia, stands for a beacon guiding us through the complexities of everyday life. It is not simply the accumulation of data, but fairly the application of comprehension to navigate the planet with equanimity and discernment. Inside our quick-paced, facts-saturated age, wisdom gets to be an indispensable

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि॥

भावार्थ – आपकी शरण में आये हुए भक्त को सभी सुख प्राप्त हो जाते हैं। आप जिस के रक्षक हैं उसे किसी भी व्यक्ति या वस्तु का भय नहीं रहता है।

[21] 1 interpretation of "Hanuman" is "1 possessing a disfigured jaw". This Edition is supported by a Puranic legend wherein toddler Hanuman errors the Sun for a fruit, heroically tries to succeed in it, and is particularly wounded within the jaw for his try by Indra the King of Gods.[21]

સાળંગપુર હનુમાનજી શ્રી કષ્ટભંજનદેવ – દર્શનનો સમય

हनुमान चालीसा, लाभ, पढ़ने का सही समय, क्यों पढ़ें?

सियराम–सरूपु अगाध अनूप बिलोचन–मीननको जलु है।

व्याख्या – भजन अथवा सेवा का परम फल है हरिभक्ति की प्राप्ति। यदि भक्त को पुनः जन्म लेना पड़ा तो अवध आदि तीर्थों में जन्म लेकर प्रभु का परम भक्त बन जाता है।

व्याख्या—इस चौपाई में श्री हनुमन्तलाल जी के सुन्दर स्वरूप का वर्णन हुआ है। आपकी देह स्वर्ण–शैल की आभा के सदृश सुन्दर है और कान में कुण्डल सुशोभित है। उपर्युक्त दोनों click here वस्तुओं से तथा घुँघराले बालों से आप अत्यन्त सुन्दर लगते हैं।

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